*अमलीपदर में श्रीमद देवी भागवत कथा का बड़ा आयोजन त्रिपाठी परिवार के द्वारा किया गया*
अमलीपदर:- चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर देवी भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। इस आध्यात्मिक आयोजन प्रेरक युगल जोड़ी गोपाल कृष्ण पांडेय और शीतला पांडेय ने किया है, जिन्होंने श्रद्धा और सेवा भाव के साथ इस धार्मिक अनुष्ठान की व्यवस्था किया गया है। कथा वाचक भागवताचार्य स्व. श्री नीलकंठ प्रसाद त्रिपाठी एवं श्री देवनारायण त्रिपाठी श्रीमती सरिता त्रिपाठी के पुत्र श्री विश्वनाथन त्रिपाठी के द्वारा वर्णन किया गया। यह आयोजन अमलीपदर के बार्हम्ण पारा में किया गया।जहां क्षेत्र के हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन कथा श्रवण करने के लिए उपस्थित होते थे। कथा का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दिनांक 30/03/2025, दिन रविवार, कलश यात्रा, एवं वेदी पूजन, देवी भागवत महात्मा की कथा किया गया, दिनांक 31/03/2025 दिन सोमवार को हयगार्व, मधु कैटभ वध, व्यास जन्म एवं शुकदेव जन्म की कथा महाभारत आरव्यान, दिनांक 01/042025, दिन मंगलवार, महाराजा जनमेजय द्वारा सर्थ सन्न यज्ञ, आस्तिक मुनि प्रसंग, न्निदेवी द्वारा विभिन्न लोकों का दर्शन सृष्टि रचना एवं भगवान विष्णु द्वार अम्बा यज्ञ किया गया, दिनांक 02/04/2025 दिन बुधवार देवी के बीच मंत्र की महिमा, नवरात्र व्रत एवं कुंवारी पूजन विधान शास्त्री चरित्र शक्तिपीठ आख्यान, शिव पार्वती विवाह, दिनांक 03/04/2025 दिन गुरुवार श्री राम चरित्र एवं राम जी द्वारा शक्ति पूजन वसुदेव-देवकी के पर्व पूर्व जन्म एवं षट गर्भ की कन्या श्री कृष्ण चरित्र, दिनांक 04/04/2025 दिन शुक्रवार, रम्भ-करंभ की कथा, महिषासुर वध शुभ निशुंभ चण्ड-मुण्व रक्तबीज वध प्रसंग देवी चण्डी के पार्कटय की कथा, राजा सुरथ और समाधि वैश्य आख्यान, दिनांक 05/04/2025 दिन शनिवार, सीता एवं द्रोपदी के पूर्व जन्म की कथा, सावित्री सत्यवान की कथा भगवतीस्वाहा, स्वधा दक्षिणा उपाख्यान, भगवती, षष्ठी, मनसा देवी, भार्मरी देवी, मंगल चण्डी आख्यान कथा विश्राम एवं चढ़ौती, दिनांक 06/04/2025 दिन रविवार, देवी गीत, कुम कुम वर्षा, कपिला अपर्ण, नवचंडी महायज्ञ, पूर्णाहुति,भोग भण्डार, महाप्रसाद किया गया, एवं दिनांक 07/04/2025, दिन सोमवार जंवारा विसर्जन एवं नगर भ्रमण किया गया। यह पहला अवसर है जब कथा वाचक श्री विश्वनाथ त्रिपाठी द्वारा देवी भागवत कथा का वाचन किया गया है, क्षेत्र वासियों का मानना है कि उनका भाक्ति भाव से परिपूर्ण वर्णन अत्यंत प्रभावशाली और हृदय स्पर्शी है, कथा के पश्चात प्रतिदिन शाम को भंडारे का आयोजन भी किया जाता था, जिसमें श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर आत्मिक तृप्ति के साथ अपने घर लौट जाते थे।