उर्वरक विक्रेताओं की मनमानी पर कृषि विभाग का शिकंजाकबीर कृषि केंद्र पर बिक्री प्रतिबंध, सभी विक्रेताओं को नोटिस — किसान लूट की मिलीभगत पर उठे सवाल
छुरा :- किसानों से मुनाफाखोरी और कालाबाजारी कर मोटा धंधा करने वाले उर्वरक विक्रेताओं पर आखिरकार कृषि विभाग का डंडा चला। उपसंचालक कृषि गरियाबंद के निर्देश पर छापामार अंदाज में हुई जांच में कई घपले उजागर हुए।
अनुविभागीय कृषि अधिकारी सीमा करचाम एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी भावेश कुमार शांडिल्य ने छुरा ब्लॉक के किसान संसार मुड़ागांव, कबीर कृषि केंद्र रानीपरतेवा, कोमल कृषि केंद्र साजापाली, अमर खाद भंडार छुरा एवं बलराम कृषि केंद्र का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान कबीर कृषि केंद्र की करतूतें खुलकर सामने आ गईं।
जांच में पाया गया कि केंद्र में पोस मशीन में दर्ज स्टॉक और वास्तविक स्टॉक में भारी अंतर था। बिना पोस मशीन के खाद बेचना, विक्रय बोर्ड गायब, स्रोत प्रमाण पत्र और स्टॉक पंजी तक नहीं! यानी सब कुछ धड़ल्ले से बिना नियम-कायदे के चल रहा था। यह उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 की धज्जियां उड़ाने जैसा है। नतीजतन कृषि विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कबीर कृषि केंद्र की बिक्री पर रोक लगा दी।
यही नहीं, बलराम कृषि केंद्र पर भी हेरफेर की आशंका जताई गई, जिसके बाद मौके पर मौजूद अधिकारियों ने खुद किसानों को निर्धारित दर पर यूरिया खाद बंटवाया। बाकी सभी विक्रेताओं को भी नोटिस थमाते हुए साफ चेतावनी दी गई कि किसानों की जेब काटने की हरकतें अब बर्दाश्त नहीं होंगी।
किसानों का कहना है कि लंबे समय से विक्रेता मनमानी कर रहे थे और विभाग चुप्पी साधे बैठा था। अब जाकर कार्रवाई हुई है तो सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी लूट में विभाग की चुप्पी क्यों थी? क्या अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह गोरखधंधा सालों से चल रहा था?
कृषि विभाग की इस कार्रवाई ने फिलहाल विक्रेताओं की नींद उड़ा दी है।