अकलवारा मे छात्रावास भवन की छमता 50 सीट पर स्वीकृत सीट 20 आदिवासी के लिये भटक रहे है अंचल के आदिवासी छात्र 

1980 से खपरेल मकान मे संचालित था छात्रावास वर्ष 2017/18 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिँह ने क्षेत्र की जनता की मांग पर 50 सीटर भवन की दी थी स्वीकृति

छुरा :– गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड छुरा के आदिवासी छात्रावासो मे आज भी 1980 का नियम के चलते क्षेत्र आदिवासी छात्रों को छात्रावास के सुविधा के लिये भटकना पढ़ रहा है ऐसा नहीं है की इसकी जानकारी शासन प्रशासन को नहीं है 50 सीटर सर्वसुविधायुक्त भवन बनने के बाद से ही क्षेत्र के आदिवासी सीट बढ़ाने को लेकर उच्च कार्यालय मे ज्ञापन सौप रहे है लेकिन आज तक उनके आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं हुई है छुरा ब्लाक के ग्राम अकलवारा मे आदिवासी बच्चो की शिक्षा को ध्यान मे रखते हुए 1980 के दशक मे 20 सीटर आदिवासी छात्रावास का संचालन शुरू किया गया था उस समय यहा खपरेल के मकान मे छात्रावास का संचालन शुरू हुआ धीरे धीरे समय के साथ छात्रावास भवन जर्जर होने लगा छात्रों के साथ कोई अप्रिय घटना न घटे यह चिंता पालको को सताने लगी उसी वक़्त 2017 मे छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का छुरा ब्लाक के अकलवारा आना हुआ और उनका उड़न खटोला उसी छात्रावास केम्पस मे उतरा मुख्यमंत्री के आगमन पर क्षेत्र के आदिवासी समाज के लोगो मे एक उम्मीद की किरण जगी और उसी दरमियान क्षेत्र के आदिवासी समाज के द्वारा ग्राम अकलवारा मे संचालित 20 सीटर आदिवासी छात्रावास भवन की जर्जर स्थिति से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिँह से नये बिल्डिंग के साथ छात्रावास की क्षमता को 20 सीट से बढ़ा कर 50 सीटर करने का अनरोध किया आदिवासी समाज की मांग व आदिवासी छात्राओं की सुविधा को देखते हुए उन्होंने ग्रामीणों की मांग पुरा करने का वादा किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपना वादा पुरा भी किया 2017 मे ही अकलवारा मे 50 सीटर आदिवासी छात्रावास बिल्डिंग की स्वीकृति मिली और 2019 मे ही भवम बनकर तैयार हो गया 2020 मे नये सत्र से नये भवन मे छात्रावास का संचालन शुरू हुआ क्षेत्र के आदिवासियों मे 50 सीटर छात्रावास निर्माण के बाद ऐसा लगा की अब यहा 20 सीट की जगह 50 सीट की स्वीकृति होंगी क्षेत्र के आदिवासी बच्चो को अब छात्रावास मे रहकर पढ़ने की सुविधा मिलेगी लेकिन 50 सीटर क्षमता का छात्रावास भवन बनने के बाद भी छात्रावास की सीट 20 होने की जानकारी मिलने के बाद उन्हें मायुश होना पड़ा, उच्च कार्यालयों मे सीट बढ़ाने कई आवेदन निवेदन का दौर चला ग्रामीणों ने पिछले वर्ष राजिम विधायक रोहित साहू से मुलाक़ात कर छात्रावास मे सीट कई संख्या 20 से बढ़ाकर 50 सीट बढ़वाने की मांग किया गया लेकिन क्षेत्र के आदिवासी समाज को हर तरफ से बस मायूसी मिली पिछले वर्ष इसी छात्रावास मे 57 आदिवासी छात्र रहकर पढ़ाई कर रहे थे लेकिन अब आश्रम अधीक्षक का कहना है की शासन का आदेश है की जिस छात्रावास मे जितनी सीट की स्वीकृति है उतने ही छात्रों को छात्रावास मे एडमिशन देना है इस आदेश के बाद इस छात्रावास मे रहकर पढ़ने वाले 24 जरूरतमंद छात्रों को बाहर का रास्ता देखना पढ़ रहा है आदिवासी छात्र संसय की स्थिति मे है और पालक अपने बच्चो के भविष्य को लेकर चिंतित है क्युकी पुरे ब्लाक मे पढ़ाई के मामले मे अकलवारा स्कुल को टॉप माना जाता है ज्यादातर लोग अपने बच्चो को यहा पढ़ाना चाहते है पिछले वर्ष अकलवारा आदिवासी छात्रावास मे रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों का रिजल्ट शतप्रतिशत रहा है अकलवारा की तरह दुल्ला आदिवासी छात्रावास का भी यही हाल है वहा भी जो आदिवासी छात्रावास भवन बना है उसकी क्षमता 50 सीट है लेकिन वहा भी स्वीकृत सीट 20 है जिससे कई आदिवासी छात्रों को छात्रावास की सुविधा से महरूम होना पढ़ रहा है, आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष पन्नालाल ध्रुव ने आदिवासी छात्रों की समस्याओ को देखते हुए कहा की अकलवारा और दुल्ला के आदिवासी छात्रावास मे 20 सीट की संख्या को बढ़ाकर 50 करने जिला कलेक्टर व सहायक आयुक्त से बात करेंगे साथ ही इस समस्या को ट्रायवल मिनिस्टर व प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव सरकार से मिलकर आदिवासी छात्रों के हित मे ध्यान मे रखते हुए अकलवारा और दुल्ला आदिवासी छात्रावास को 20 सीट से बढ़ाकर 50 सीट की स्वीकृति देने की मांग पत्र सौपेंगे!

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