अवैध कटाई, ईट भट्टे, और वन अधिकार पट्टे के नाम पर जंगल का हो रहा है सफाया, वन विभाग और राजस्व विभाग बन रहा है अनजान

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा पेड़ काटना मनुस्य हत्या के बराबर है

छुरा :- छुरा वन परिक्षेत्र के जंगल धीरे धीरे मैदान मे तब्दील होने लगा है पतझड़ के मौसम मे अपनी बदहाली की कहानी खुद जंगल बयां कर रहा है पतझड़ के मौसम मे पेड़ के पत्ते झड़ जाने के बाद आप सड़क पर चलते हुए जंगल की दुर्दशा देख सकते है कई इलाके मे आपको सड़क से गुजरते हुए ऐसा लगेगा की यहां घनघोर जंगल है लेकिन सड़क से उतर कर ज़ब आप कुछ दूर अंदर जाकर देखेंगे तो या तो मैदान नजर आयेगा या तो आपको खेत नजर आयेगा पहले छुरा वन परिक्षेत्र का जंगल घनघोर जंगल के नाम से जाना पहचाना जाता था लेकिन अब जिस तेजी से जंगल का विनाश हो रहा है उससे आगे की पीढ़ी के लिये जंगल एक अपना बन कर रह जायेगा जिससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचना तय है वन अधिकार पट्टे के आड़ मे लगातार जंगल को काटा जा रहा है तो वही दूसरी ओर अवैध ईट भट्टा वालो ने भी जंगल के साथ राजस्व इलाके से पेड़ो का सफाया करने मे कोई कसर नहीं छोड़ रहे है बहुत जगहों पर पेड़ो को गाडलिंग कर धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है लेकिन इस ओर न तो वन विभाग का ध्यान है और न ही राजस्व विभाग ध्यान दे रहा है जबकि निलेश कुमार झीरसागर गरियाबंद कलेक्टर थे तब उन्होंने पेड़ो की गाडलिंग पर कड़ी कार्यवाही का निर्देश दिया था लेकिन जिले के अफसरों व कर्मचारियों ने कलेक्टर के आदेश को रद्दी की टोकरी मे फेक दिया पेड़ की गाडलिंग पर एक भी कार्यवाही नहीं किया गया जिसके चलते इलाके मे गाडलिंग को बढ़ावा मिल रहा है लोग कच्चे पेड़ के नीचे भाग से गोल छाल को निकाल देते है जिसके कारण पेड़ को तनो के जरिये मिलने वाली पोषक का मिलना बंद हो जाता है और धीरे धीरे हरा भरा पेड़ सुख जाता है अगर गाडलिंग पर राजस्व विभाग व वन विभाग कार्यवाही करे तो हरे भरे पेड़ो को कटने से बचाया जा सकता है लगातार वनक्षेत्र मे हो रही कमी से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंच रहा है

 

जंगलो की अवैध कटाई का सीधा असर जंगली जानवरो पर

जंगलो की अवैध कटाई सीधा असर जंगल मे रहने वाले जंगली जानवर पड़ रहा है लगातार घटते वन और वनो मे हो रही आगजनी के चलते वन औषधिया जलकर ख़ाक हो रही है तो वही जंगली जानवर अपनी जान गवा रहे है जंगल मे आग लगने व पानी की कमी के चलते जंगली जानवर गांव तक पहुंचने लगे है कई बार तो जंगली जानवर ज़ब अपनी प्यास बुझाने गांव के तालाब आते है तो उन्हें अपनी जान भी गवानी पढ़ती है गांव के शिकारी या फिर कुत्ते उन्हें मार ड़ालते है गर्मी के दिनों मे जंगल मे नदी नाले व पोखर पूरी तरह सुख जाते है हालाकि वन विभाग जंगली जानवरो का प्यास बुझाने तालाब तो खुदवा देती है लेकिन तालाब खुदने के बाद फिर वापस पलट कर नहीं देखती की तालाब मे पानी है या नहीं

 

ईट भट्टो की वजह से भी अवैध कटाई मे हो रही है बढ़ोत्तरी

छुरा ब्लाक मे अवैध लाल ईट भट्टो का निर्माण जोर शोर से बेरोकटोक चल रहा है गांव गांव मे जंगल से लगे इलाको मे ईट निर्माण धड़ल्ले से जारी है जिस पर रोक लगाने वाला कोई नहीं है जबकि पर्यावरण सरंक्षण के लिये सुप्रीम कोर्ट ने 2012/13 मे लाल ईट निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कोई असर होते नहीं दिखा प्रशासन सब देख कर भी नियम का पालन नहीं कर रहा है लाल ईट भट्टो को पकाने के लिये रोज हजारों पेड़ो की बली चढ़ रही है निजी भूमि पर लगे पेड़ को काटने के लिये अनुविभागीय अधिकारी से परमिशन लेना होता है लेकिन इलाके मे बीना अनुमति के ही पेड़ की कटाई बदस्तूर जारी है हद तो तब हो जाती है की सब देख और जानकर भी राजस्व और वन विभाग के कर्मचारियों का चुप्पी साधना कई सवालो को जन्म देती है!

*क्या कहते है अफसर*

*वन परिक्षेत्र अधिकारी छुरा धीरेन्द्र साहू *

इस संबंध मे वन परिक्षेत्र अधिकारी धीरेन्द्र साहू से बात की तो उन्होंने कहा की विभाग की ओर से निरंतर कार्यवाही की जा रही है फिर लोग समझ नहीं रहे है आपके माध्यम से जानकारी मिली है आगे कार्यवाही करेंगे

*तहसीलदार छुरा रमेश मेहता *

छुरा तहसीलदार रमेश मेहता से अवैध ईट भट्टे व बीना परमिशन के राजस्व क्षेत्र मे पेड़ो की कटाई पर कार्यवाही के संबंध मे पूछे जाने पर उन्होंने कहा की अभी तक हमारे द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है कार्यवाही करने जाने पर लोग कहते है की आवास बनाना है इसलिये ईट बना रहे वही बीना परमिशन पेड़ कटाई व गाडलिंग के संबंध मे उन्होंने कहा की मुझे इसकी जानकारी नहीं है आपके माध्यम से पता चला है आगे कार्यवाही की जायेगी

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